सेहतवन की शुरुआत 2014 में हुई, सेहत को समझने के लिए, life-process या जी’वन’ में वन की अहमियत को जानने के लिए।
गत एक दशक की रिसर्च से समझ में आया कि करीब-करीब सभी बीमारियों को हटाया जा सकता है (बल्कि छोड़ा जा सकता है) इस 9 फ़ैक्टर्स पर काम करके:
और यह भी समझ में आया कि इन फ़ैक्टर्स से न सिर्फ बीमारियों को छोड़ा जा सकता है बल्कि सेहत को मजबूत किया जा सकता है, एजिंग को धीमा किया जा सकता है, प्रसन्नता को पाया जा सकता है, यहाँ तक कि रिश्तों को भी सुधारा जा सकता है।
इस तरह एक नई समझ उपजी है और इसे नाम दिया है ‘Bio-Happiness’. फिलहाल हमें ऐसा लगता है कि हैप्पीनेस का एक छोटा हिस्सा ही सामाजिक, आर्थिक या आध्यात्मिक है, ज़्यादातर हैप्पीनेस बायोलोजिकल है और यह तेज़ी से कम हो रही है। शायद यही वजह है कि क्यों ताबड़तोड़ सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक विकास के बावजूद इन्सानों में खुशहाली बढ़ नहीं रही है।
इस नई समझ से हम बेहद उत्साहित हैं और हमें लगता है कि इसे जीवन में जितनी कम उम्र में उतार लिया जाए उतना ही लंबा फायदा है - क्यों डायबिटीज या हार्ट-अटैक होने तक सीमित रखा जाए? अतः हम अब इसे युवाओं में पॉपुलर करना चाह रहें हैं, या उन अधेड़ और बुजुर्गों में जो दिल से जवां रहना/ होना चाह रहे हैं।
इस कड़ी में हम सेहतवन को जवां कर रहे हैं – एक नया नाम ‘मूडफॉरेस्ट’ देकर और कैम्पस का लुक-एंड-फील बदलकर, ऐसा करते हुये हम प्रोजेक्ट की स्टियरिंग भी नई पीढ़ी – मधुर, वैदेही और उनके दुनियाभर में फैले साथियों को सौंप रहे हैं।
इसका मतलब यह नहीं है कि मैं साठ के नजदीक पहुँचते हुये रिटायरमेंट ले रहा हूँ, मैं अपने मिशन 125 पर कायम हूँ, मुझे लग रहा है कि मेरी बायोलोजिकल-एज रिवर्स हो रही है, यद्यपि जो लोग मुझे सिर्फ विडियोज में ही देखते रहे हैं उन्हें उलझन हो रही है कि क्यों मैं अपने बाल डाई क्यों करने लगा हूँ?
उम्मीद है आपका स्नेह पहले की तरह मिलता रहेगा,
सादर,
विपिन गुप्ता
Thank you for being part of our journey!